March 15, 2025
Traffic Vada Pav Startup Story : यह कहानी है एक ऐसे युवा की, जिसने अपने जुनून और हिम्मत से साबित किया कि अगर आप अपने दिल की सुनें और कड़ी मेहनत करें, तो सफलता आपके कदम चूमती है।
Traffic Vada Pav Startup Story : यह कहानी है एक ऐसे युवा की, जिसने अपने जुनून और हिम्मत से साबित किया कि अगर आप अपने दिल की सुनें और कड़ी मेहनत करें, तो सफलता आपके कदम चूमती है।
गौरव हर रोज ऑफिस से शिफ्ट खत्म होने के बाद शाम 6 बजे निकलते थे और रात 9 बजे घर पहुंचते थे। इन तीन घंटों में उन्हें भूख, प्यास लगती थी। मन में आता था कि काश गाड़ी में ही कोई गरमा-गरम कुछ खाने को दे देता।
वो एक पिज्जा कंपनी में काम करते थे। पहले डिलीवरी बॉय थे, फिर प्रमोट होते-होते मैनेजर बन गए। इसके बावजूद गौरव के मन में अपना कुछ करने का ख्याल हमेशा चलता रहा। पिछले साल नवंबर की बात है। उन्होंने अचानक नौकरी छोड़ दी। घर में पत्नी और मां हैं।
दोनों ने बहुत डांटा और समझाया भी कि बेटा नौकरी कर ले। लेकिन, गौरव अपनी जिद पर अड़ गए थे। उन्होंने घरवालों को बताया कि मैं ट्रैफिक सिग्नल पर वड़ा पाव बेचने का काम शुरू करने वाला हूं। पत्नी ने कहा कि आपको अभी 32 हजार रुपए सैलरी मिलती है।
नौकरी भी अच्छी चल रही है, तो आप क्यों ये फालतू काम करना चाहते हो। वैसे भी सिग्नल पर कोई वड़ा पाव नहीं खरीदेगा। दोस्तों ने भी जब ये आइडिया सुना तो उनका बहुत मजाक उड़ाया। लेकिन, गौरव ने किसी की बात नहीं मानी। उन्होंने एक शेफ ढूंढा। 6 लड़के भी हायर कर लिए। उन्हें कहा कि शाम 5 से रात 10 बजे तक सिग्नल पर वड़ा पाव बेचना है और इसके एवज में रोज दौ सौ रुपए मिलेंगे।
गौरव कहते हैं, वड़ा पाव तो मुंबई में हर जगह मिलता है, लेकिन मुझे इसमें कुछ अलग करना था। इसलिए मैंने इसकी पैकिंग बर्गर बॉक्स की तरह करवाई। बॉक्स में वड़ा पाव के साथ ही चटनी, हरी मिर्च और 200 एमएल पानी की बोतल पैक करने का प्लान बनाया। डिलीवरी बॉय के लिए ऑरेंज टीशर्ट कम्पल्सरी की।
हमने यही सोचा कि जो भी गाड़ियां सिग्नल पर रुकेंगी, उन्हें हम वड़ा पाव बेचेंगे। लेकिन, शुरुआत अच्छी नहीं रही। हम दो सिग्नल पर जा रहे थे। लोग हमें देखकर ही गाड़ी के कांच बंद कर लेते थे। फिर मैंने लोगों को ये बोलना शुरू किया कि, ट्रैफिक वड़ा पाव नाम की एक कंपनी है, जो अपने वड़ा पाव के लिए फीडबैक ले रही है। आपको पैसे नहीं देना सिर्फ रिव्यू करना है। इस तरह से फ्री में पैकेट बांटना शुरू किया।
फ्री में पैकेट बांटकर पहले दिन घर आया तो सबको लगा कि आज सब बिक गया। सब खुश हो गए। लेकिन, मैंने पत्नी को बताया कि कुछ नहीं बिका। मैं फ्री में ही सब बांटकर आया हूं। ऐसा मैंने पांच दिनों तक किया और करीब पांच सौ पैकेट फ्री बांट दिए। छठे दिन से हमने 20 रुपए में पैकेट बेचना शुरू किया और हमारे पैकेट बिकने भी लगे।
मैंने नौकरी के दौरान देखा था कि कस्टमर्स फीडबैक बहुत जरूरी होता है, इसलिए बॉक्स पर ही अपना नंबर प्रिंट करवा रखा था। लोग हमें फीडबैक देने लगे। कई लोग हमारी फोटो क्लिक करके उनके फेसबुक-इंस्टाग्राम पर डालते। इससे हमें काफी लोग जानने लगे। दो महीने में ही मुझे इतना अच्छा रिस्पॉन्स मिला कि मेरी रोज की बचत दो हजार रुपए तक होने लगी।
इस साल फरवरी में मैंने सिग्नल के पास ही एक शॉप रेंट पर ले ली, लेकिन हमारा फोकस सिग्नल पर वड़ा पाव बेचना ही है। लॉकडाउन के बाद अभी आठ दिन पहले फिर काम शुरू किया है। अब वड़ा पाव के साथ समोसा और चाय भी शुरू करने वाले हैं। अभी मेरे पास चार लड़के हैं, जिन्हें मैंने 10 हजार रुपए फिक्स सैलरी पर रख लिया है।
जरूरत बढ़ रही है इसलिए और लड़के हायर कर रहा हूं। 15 लड़कों की टीम बनानी है। सभी को 10 हजार रुपए की फिक्स सैलरी पर रखूंगा। जितने ज्यादा लड़के होंगे, सेल उतनी ही बढ़ेगी। और अब सिर्फ शाम को नहीं बल्कि सुबह भी हम सर्विस देने लगे हैं। सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक और शाम को 5 से रात 10 बजे तक हमारा काम चालू रहता है।
जो भी कोई काम शुरू करना चाहता है तो उसको बस यही बताता हूं कि, जो आपके मन में हो, उससे जरूर करो। लोग तो निगेटिव ही बोलते हैं, लेकिन यदि हम दिल का काम करते हैं तो कामयाब जरूर होते हैं। मैंने तो अपने अनुभव से यही सीखा है। पहले मैं 32 हजार रुपए के लिए सुबह से शाम तक नौकरी कर रहा था और अब दस-दस हजार रुपए की सैलरी पर लोगों को नौकरी दे रहा हूं।
हिम्मत नहीं करता तो शायद अब भी नौकरी ही करते रहता। मैंने इस बिजनेस को शुरू करने में 50 से 60 हजार रुपए खर्च किए थे, सब सामान बल्क में खरीदा था। पूरा पैसा दो महीने में ही निकल चुका है। अब फ्रेंचाइजी देने पर भी काम कर रहा हूं।
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